Lalitpur News: Lalitpur Latest News| Bundelkhand News 2024| UP News Update| ललितपुर | समय रहते विलुप्त होती प्रजाति पर ध्यान नहीं दिया गया तो वह दिन दूर नहीं जब गिद्धों की तरह गौरैया भी इतिहास बन जाएगी और यह सिर्फ गूगल और किताबों में ही दिखेगी। विज्ञान और विकास के बढ़ते कदम ने हमारे सामने अनेक चुनौतियां भी खड़ी की हैं। जिससे निपटना हमारे लिए आसान नहीं है। करूणा इंटरनेशनल के संयोजक पुष्पेंद्र जैन बताते हैं कि विकास की महत्वाकांक्षी इच्छाओं ने हमारे सामने पर्यावरण की विषम स्थिति पैदा की है।
जिसका असर इंसानी जीवन के अलावा पशु-पक्षियों पर साफ दिखता है। इंसान के बेहद करीब रहने वाली कई प्रजाति के पक्षी और चिड़िया आज हमारे बीच से गायब हैं। उसी में एक है स्पैरो यानी नन्हीं सी वह गौरैया। गौरैया हमारी प्रकृति और उसकी सहचरी है। गौरैया की यादें आज भी हमारे जेहन में ताजा हैं। कभी वह नीम के पेड़ के नीचे फुदकती, जमीन पर बिखेरे गए चावल या अनाज के दाने को चुगती। लेकिन बदलते दौर और नई सोच की पीढ़ी में पर्यावरण के प्रति कोई सोच ही नहीं दिखती है।
अब बेहद कम घरों में पक्षियों के लिए इस तरह की सुविधाएं उपलब्ध होती हैं। प्यारी गौरैया कभी घर की दीवार पर लगे आइने पर अपनी हमशक्ल पर चोंच मारती तो कभी चारपाई के नजदीक आती। बदलते वक्त के साथ आज गौरैया का बयां दिखाई नहीं देता। एक वक्त था जब बबूल के पेड़ पर सैकड़ों की संख्या में घौंसले लटके होते और गौरैया के साथ उसके चूजे चीं-चीं-चीं का शोर मचाते थे। बचपन की यादें आज भी जेहन में ताजा हैं लेकिन वक्त के साथ गौरैया एक कहानी बन गई है।उसकी आमद बेहद कम दिखती है।
गौरैया इंसान की सच्ची दोस्त भी है और पर्यावरण संरक्षण में उसकी खास भूमिका भी है। दुनिया भर में 20 मार्च गौैरैया संरक्षण दिवस के रुप में मनाया जाता है। वर्ष 2010 में पहली बार यह दुनिया में मनाया गया। प्रसिद्ध उपन्यासकार भीष्म साहनी ने अपने बाल साहित्य में गौैरैया पर बड़ी अच्छी कहानी लिखी है। जिसे उन्होंने गौरैया नाम दिया है। हालांकि जागरुकता की वजह से गौरैया की आमद बढ़ने लगी है। हमारे लिए यह शुभ संकेत है।
समय रहते इन विलुप्त होती प्रजाति पर ध्यान नहीं दिया गया तो वह दिन दूर नहीं जब गिद्धों की तरह गौरैया भी इतिहास बन जाएगी और यह सिर्फ गूगल और किताबों में ही दिखेगी। इसके लिए हमें आने वाली पीढ़ी को बताना होगा कि गौरैया अथवा दूसरे विलुप्त होते पक्षियों का महत्व हमारे मानवीय जीवन और पर्यावरण के लिए क्या खास अहमियत रखता है।
प्रकृति प्रेमियों को अभियान चलाकर लोगों को मानव जीवन में पशु-पक्षियों के योगदान की जानकारी देनी होगी। इसके अलावा स्कूली पाठ्यक्रमों में हमें गौरैया और दूसरे पक्षियों को शामिल करना होगा। हालांकि वर्तमान में हिंदी की पुस्तक में खग उडते रहना जैसी पक्षियों की कविताओं को सम्मिलित किया गया है।
जिससे जागरूक होकर बच्चे गौरैया पक्षी के संरक्षण को आगे आ रहे हैं। बच्चे घर, स्कूल, बाग-बगीचे, बालकनी में गौरैया घौंसलें लगा रहे हैं। बच्चों में प्रवेश दीपक, हरिशंकर, दिव्यांश जैन रोशनी, रितिक, चतुर्भुज ने गौरैया घौंसले लगाये जिनमें नन्हीं गौरैया ने आशियाना भी बना लिया है। गौरैया को नये आशियाने बेहद पसंद आ रहे हैं। बच्चों को गौरैया संरक्षण के लिए जागरूक किया जाए तो निश्चित ही नन्हीं गौरैया घर, आंगन, स्कूल में फुदकती हुई दिखाई देगी। संरक्षण से ही गौरैया को बचाया जा सकता है।